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गुरुवार, 6 अगस्त 2009

प्रार्थनाओ के युगों में..मीत मेरे

प्रार्थनाओ के युगों में..मीत मेरे
प्रार्थनाओं के युगो मे
मीत मेरे,
तुम हमारे साथ मिलकर
गुनगुनाओ ,गीत गाओ ।
बीज वोये थे सृजन के
आज अँकुराने लगे हैं
कारवाँ को रोककर
ये रास्ते जाने लगे हैं
मँजिले है दूर उनके
सिलसिले भर रह गये हैं
अर्हताओं के युगो में
मीत मेरे
तुम हवा के साथ मिलकर
खुद ही खुद ही गाना सीख जाओ ।
प्रार्थनाओं के युगों मे
मीत मेरे
तुम हमारे साथ मिलकर
गुनगुनाओ,गीत गाओ ।
प्रार्थनाएँ की अहिल्या ने
युगों से ठुकराई वही नारी बनी थी
प्रार्थना से भिल्लनी..शबरी
भक्ति पथ की सही अधिकारी बनी थी
प्रार्थनाएँ दुःखों के संहार की थी
प्रार्थनाएँ एक नये अवतार की थी
प्रार्थनाओं से हम बनाते राम
वही फिर दुःख भोगता,अभिषाप ढोता है
वर्जनाओ के युगो मे
मीत मेरे
तुम हमारे साथ मिलकर बीत जाओ।
प्रार्थनाओ के युगो मे
तुम हमारे साथ मिलकर
गुनगुनाओ, गीत गाओ ।
कमलेश कुमार दीवान
०२ अप्रेल ०६

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