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मंगलवार, 24 मार्च 2009

यह सब संसार विकल है .....भजन गीत



सुनिये
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यह सब संसार विकल है .....भजन गीत
यह सब संसार विकल है।
गिरते आँसू कोइ देख न ले
वह छिपा रहा केवल है।
कोई सुख मे डूबा जाता है
कोई दुख मे तैर नही् पाता
कोई पानी पानी नदियों सा
कोई हिम सा ठहरा रह जाता
कोई शांत और अविचल है।
यह सब संसार विकल है।
कमलेश कुमार दीवान

मन कछु सुमरत नाहीं ....भजन गीत

suniye
मन कछु सुमरत नाहीं ....भजन गीत
हे हरि,मन कछु सुमरत नाहीं।
हे हरि ,मन कछु सुमरत नाहीं।
का करिहें जग जपत बुढ़ाया
मोह माया का फेर बढ़ाया
जे असार संसार भँवर है
कहीं किनारा नाहीं।
हे हरि ,मन कछु सुमरत नाहीं।
पी॔त पाण पण पेम पराए
राग देव्श अपनों से
बहुरि भेद नहिं मिते रे मनुज के
साँच कहुँ सपने से
करनीं के फल किते मिलत है
पावो जुगत भिडाई
हे हरि, मन कछु सुमरअत नाहीं ।
कमलेश कुमार दीवान
नोटः यह भजन गीत ईश्वर की आराघना मे लिखा है, उन्हे सादर समर्पित है।