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शनिवार, 4 जून 2016

बच्चो तुम सब खुश रहो

"बच्चो तुम सब खुश रहो "
                      *कमलेश कुमार दीवान*
 बच्चो ..तुम सभी खुश रहो
सुख से अपना जीवन बिताओ
पर आने वाले दुःखों को भी पहचानो
दुःख जो अपनो से बिछुड़ने और
अपनाये हुये दूसरो से
मिलने वाले  संताप के बीच मे होते हैं
दुःख जो सपनो को पुरा होने और
उनसे अंकुरित हुये परिताप के मध्य झुलते है
अर्थात् दुःख जो दिखाई देते है
चहूँ ओर
संसार मे जीवन मे
पेड़,नदी ,पर्वतऔर आकाश मे
उन सबके बीच भी
खुश होना सीखो मेरे बच्चो
मेरे बच्चो
तुम सभी खुश रहो ,
बच्चो ...जो दुःख है
जो पल क्लाँत करते है
जो बिचार मलिनता देते है
वह सब मुझे दे दो
मे थोड़ा और
मुस्कुराना चाहता हूँ
तुम सब को खूश देखकर
मे कुछ और रमना चाहता हूँ
ये संसार रूपी नदी
शूरू होकर, बहती रहती है निरंतर...
जो तुमने बनाई है  
वे कागज की नावे ही
पार उतारती चली जायेगी अनंत तक
यह सृष्टि तुम्हारे सपनो के लिये है
यह आकाश उड़ान भरने के लिये है
बच्चो....तुम सब खुश रहो
आनंद से परिपूर्ण रहो
दुःख संताप विचार मलिनता सब
मुझे दे दो मेरे बच्चो
समय के साथ चलते हुये
मे भी उन्ही रास्तों से
कदमताल करना चाहता हूँ
मेरे बच्चो .......
तुम सभी खूश रहो
आनंद से जीवन बिताओं
पर आने बाले दुःखो को भी पहचानो ।

कमलेश कुमार दीवान
लेखक
23/05/2016
kamleshkumardiwan.youtube.com