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गुरुवार, 3 मार्च 2016

पात पात झर रहे है ... गीत

पात  पात झर रहे है

पात पात झर रहे है
महके महके गात गात
रिश्तो मे अनबन है
फिर भी थोड़ी समात ।
वन उपवन बहके है
महुये की सुगंध से
फागुन के रंगो से
बांसती अनूबँध से

थोड़ी सी आस पर
बहकी सी कायनात
रिश्तो मे अनबन है
फिर भी थोड़ी समात ।

कमलेश कुमार दीवान
6 मार्च 2015
kamleshkumardiwan.youtube.com