यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 5 जून 2017

पहाड़ हँस रहें हैं

आज 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस है ।हम सभी पर्यावरण विनाश को लेकर चिंतित हैं। यह दिवस आने पर हम पेड़ लगाते आ रहे हैं पर कहाँ पेड़ पौधो का रोपड़ किया जाये यह नहीं सोचते हैं।हमारे देश मे होने वाली मानसूनी वर्षा पहाड़ों कि ऊँचाईयों के अनुसार होती है यदि हम पहाड़ो से पेड़ काटते हैं तब ऊँचाई एकदम लगभग तीस मीटर तक कम हो जाती है जिससे न केवल वर्षा वरन  भूमिगत  जल भी प्रभावित होता है । मेरी यह कविता एक आव्हन है पढ़ियेगा...


पहाड़ हँस रहें हैं
                            कमलेश कुमार दीवान

दोस्तो ये पहाड़ हम पर
हँस रहे हैं
अट्टहास कर रही है हवायें
उमड़ते घुमड़ते काले मेघ
कहर बरपा रहे हैं
और तुम........
अब भी सड़को ,नदियों के किनारें
घर आँगन चौपाल चौराहों पर
पेड़ लगा रहे हो
जानते हो नरबाई की आग ने
जला दिये है लाखों पेड़
मानना ही पड़ेगा कि पहाड़ो की हरितिमा
उतार फेकी है इस सदी ने
फिर भी तुम
पर्यावरण के गीत गा रहे हो
दोस्तो
नदियों से पहले
पहाड़ो को बचाओ
भुरभुरी रेत की ढेरी बनती
चट्टानो को बचाओं
ये पहाड़ ही हैं जिनके बीच से बहती नर्मदा
भूमिगत स्त्रोतों से रिसकर आ रहे जल से
सदानीरा जीवनदायनी है
पहाड़ पर पेड़ होंगें तब
जल और जीवन के साथ
हमारा आज और कल भी होगा
पहाड़ो को बचाओ दोस्तो
नदियों से पहले पहाड़ों और पेड़ो के गीत गाओं
यात्रा करो उन वियावानो की
जहाँ जंगलो को साफ कर दिया गया है
देखो वहाँ से कभि न दिखाई देने वाला आसमान
साफ कह रहा है कि
पेड़ पौधौ की जरूरत यहाँ हैं
उन खेतो और किनारो मे नहीं
इसलिये यहाँ आओ
पेड़ उगाओ, लगाओ और कल के लिये जल के साथ
कलकल बहती नदियाँ हवा पानी और सूख पाओ
दोस्तो सही जगह पेड़ लगाओ .
पेड़ो को लगाने की सही जगह पहाड़ ही हैं
     
कमलेश कुमार दीवान
30/5/2017
लेखक होशंगाबाद    

3 टिप्‍पणियां: